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on 16 Sep 2015, 05:01PM

श्रीगणेश प्रतिमा का निर्माण मिट्टी से करना ही श्रेष्ठ होता है क्योंकि ये न केवल पर्यावरण के लिए उपयुक्त है बल्कि शास्त्र सम्मत भी है। इसका रहस्य गणेशजी के जन्म की कथा में ही छुपा हुआ है। धर्म ग्रंथों के अनुसार, माता पार्वती ने मिट्टी से एक बालक गढ़ा। (कई ग्रंथों में यह उबटन से निर्मित भी बताया जाता है।) उसमें प्राण फूंके और देवी स्नान के लिए चली गईं। br / यह बालक मां की आज्ञा से द्वार पर पहरा देने लगा। शिवजी का आगमन हुआ और बालक ने उन्हें भीतर जाने से रोका तो क्रोध में शिवजी ने बालक का सिर काट दिया। पार्वतीजी की गंभीर आपत्ति और क्रोध के बाद हाथी का मस्तक जोड़ा गया और उसमें प्राण भी फूंके गए। इस तरह गणेशजी पुनर्जीवित होकर एक नए और दिव्य स्वरूप में भक्तों के सामने आए। br / यह कथा उनके जन्म में पार्थिव तत्व अर्थात मिट्टी के महत्व को सामने लाती है। इस आग्रह के साथ कि इस बार जब प्रतिमाएं स्थापित की जाएं तो वे मिट्टी से निर्मित ही हों न कि अन्य कृत्रिम सामग्री से।